गांव में किसी के बिना कब्जे वाली जमीन मिलना नामुमकिन था। तो वह पास के जंगल में चला गया। वहां उसने कुछ जमीन साफ करी, कंकड़ पत्थर आदि हटाए, झाड़ियां साफ करी और फसल की बुवाई करने लगा। तभी वहां जंगल से एक भालू आ पहुंचा। भालू ने गुस्से से कहा “मूर्ख आदमी, तुम यहां क्या कर रहे हो? यह जमीन मेरी है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, इस जमीन पर हल चलाने की? यहां से भाग जाओ, अन्यथा मैं तुम्हें मार डालूंगा।” बेचारा किसान चिंता में पड़ गया। उसने सोचा कि बहुत ही मुश्किल से तो खेती करने लायक जमीन का टुकड़ा मिला था। यह जमीन भी अब भालू के डर से छोड़ दूंगा तो अपने परिवार को क्या खिलाऊंगा? उसने बहुत ही हिम्मत से हाथ जोड़कर भालू से कहा, “अरे भालू भैया, यह जमीन आपकी ही है। मैं इस पर कब्जा नहीं करने वाला हूं। मैं आपसे पूछना भूल गया, इसके लिए मुझे माफ करना। पर मैं इस पर फसल बोने वाला हूं। इस जमीन पर मेहनत मैं करूंगा और फसल का आधा हिस्सा आपको दे दूंगा। फसल का ऊपर का हिस्सा में आपको दे दूंगा। मैं खुद तो जड़ें लेकर ही संतुष्ट हो जाऊंगा।”